प्रत्येक लोक प्राधिकारी के कार्यालय में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के संवद्र्वन के लिए लोक प्राधिकारियों के नियंत्रणाधीन सूचना की पहुंच आम नागरिक तक सुनिश्चित करने के लिए सूचना का अधिकार विधेयक 2005 लोक सभा द्वारा दिनांक 11 मई, 2005 को तथा राज्य सभा द्वारा दिनांक 12 मई, 2005 को पारित होने के उपरान्त दिनांक 15 जून, 2005 को महामहिम श्री राष्ट्रपति जी के अनुमोदनोपरान्त अधिनियम का रूप ले चुका है। इस अधिनियम की धारा 4 (1)(ब) के अधीन 17 प्रमुख विषयों को सूचना के स्वतः प्रकटन के लिए उल्लिखित किया गया है।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 सम्पूर्ण भारत में जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सम्पूर्ण प्रदेश में स्वतः प्रभावी हो गया गया है। प्रस्तावित अधिनियम राष्ट्रपति महोदय की स्वीकृति प्राप्त होने की तिथि से 120वें दिन से सम्पूर्ण देश में लागू हो जायेगा। अधिनियम के प्राविधानों के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति द्वारा मांगी गई सूचना 30 दिन के अन्दर उपलब्ध करानी होगी। इस हेतु उचित शुल्क का निर्धारण भी किया गया है। गरीबी रेखा से नीचे आ रहे लोग शुल्क के प्राविधानों से मुक्त रहेंगे। इसके अन्तर्गत मांगी जाने वाली सूचना की परिभाषा को अत्यन्त व्यापक बनाया गया है, जिसमें समस्त अभिलेखों, पत्रावलियों, परिपत्र, आदेश, रिपोर्टस आदि समस्त सरकारी रिकार्ड शामिल है। किसी भी व्यक्ति द्वारा कराये गये कार्य के सैम्पल भी प्राप्त किये जा सकते है। जो भी सूचनाएं किसी विधायक द्वारा विधान सभा में मांगी जा सकती है, वे सभी सूचनाएं इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त की जा सकती है। अधिनियम के अन्तर्गत देश व प्रदेश की अखण्डता एवं सुरक्षा, अपराधों के अनुश्रवण, अभियोजन से सम्बन्धित सूचना, मंत्रिमण्डल के कागज-पत्र, अभिसूचना एवं सुरक्षा एजेंसियों से संबंधित सूचना को उपलब्ध कराने के लिए लोक प्रािधकारी बाध्य नही है।
अधिनियम के अन्तर्गत निर्धारित समय में सूचना न दिये जाने, सूचना हेतु आवेदन पत्र अस्वीकार करने, सूचना देने में विलम्ब करने, जानबूझकर अपूर्ण, असत्य व भ्रामक सूचना देने, मांगी गई सूचना नष्ट करने या सूचना देने की प्रक्रिया को किसी प्रकार बाधित करने आदि पर प्रतिदिन 250 रुपये दण्ड (अधिकतम 25000 रुपये) का प्राविधान भी अधिनियम में किया गया है। यह दण्ड सूचना आयोग आरोपित कर सकते है, साथ ही अन्य अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु भी आयोग द्वारा संस्तुति की जा सकती है।
कोई भी व्यक्ति निर्धारित प्रक्रिया के तहत लोक सूचना अधिकारी से सूचना प्राप्त करने हेतु आवेदन कर सकते है। सूचना तीस दिन के अन्दर दिये जाने का प्राविधान किया गया है । अथवा स्पष्ट कारण देते हुए आवेदन को निरस्त करना होगा। सूचना न देने के कारणों से सन्तुष्ट न होने पर सम्बन्धित व्यक्ति द्वारा चिन्हित अपीलीय अधिकारी के समक्ष तीस दिन मंे प्रथम अपील एवं उस पर भी सन्तुष्ट न होने पर नब्बे दिन में सूचना आयोग में द्वितीय अपील किये जाने का प्राविधान किया गया है।
सूचना विभाग सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों व उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का माध्यम है इसलिए सूचना विभाग प्रारम्भ से ही जनसाधारण के लिए सूचना का श्रोत रहा है तथापि सूचना विभाग का अपना एक संगठनात्मक ढाँचा, नीति और कार्य प्रणाली है, जिसके तहत विभाग विभिन्न स्तरों पर कार्य करता है। इस पुस्तिका में सूचना विभाग की इन्ही विशिष्ठियों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गयी है। सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग द्वारा इस अधिनियम को पूर्ण रुप से अंगीकृत कर लिया गया है। |